कल्पना करें बीच बाज़ार में आपका पुराना स्कूटर ख़राब हो जाए, हिलाया डुलाया, फिर टेड़ा किया, स्पार्क प्लग भी साफ़ कर लिया पर फिर भी स्टार्ट ना हुआ। हद हो गयी, किक मार मार का टांग जवाब दे जाएगी पर खुदा कसम कोई आकर help नहीं करेगा। पैदल चलने वाले आपको घूरते हुए निकल जायेंगे। रेहड़ी - ठेले वाले एक कुटिल सी मुस्कान देते हुए वहीँ खड़े आपको ताकते रहंगे, बोलेंगे कुछ नहीं। कुछ गाडी वाले इस कदर नज़र अंदाज़ करेंगे की कही आप चिल्ला कर उन्हें हेल्प के लिए ना बोल दे वैसे भी गाडी होने के बावजूद वे दफ्तर के लिए हमेशा लेट ही होते है, हाँ एक दो समझदार टंकी में पेट्रोल चेक करने को जरूर बोल देंगे, मानो हम तो दिमाग से पैदल है, यूँ ही सड़क के बीच वर्जिश करने का मन हो गया जो किक मार मार कर चर्बी जला रहे है।
अब फ़र्ज़ करें की गाडी scooty हो और किक मारने वाली कोई खुबसूरत लड़की तो बाज़ार में खड़े लड़के भले ही एक घडी शर्म कर जाए पर अधेड़ तो बेटा-बेटा बोल कर help करने पहुँच ही जायेंगे और खुदा ना खास्ता जो टंकी खाली मिली तो आधा पौन लीटर तेल अपना निकाल कर दे देंगे। अकेली बच्ची बेचारी कहाँ जाएगी ?
अब आप लोग कहेंगे भई कोई इंसानियत दिखा रहा है तो तुम्हारे क्यों पेट में दर्द हो रहा है ? क्या किसी जरुरत्मन्द की मदद करना अपराध है ? नहीं नहीं बिलकुल नहीं, कोई अपराध नहीं, बस कभी-कभी ऐसी दया दृष्टि लौंडों पर भी दिखा दिया करें। बच्ची के साथ कभी कभी बच्चों पर भी इंसानियत की बारिश कर दिया करें तो बेहतर होगा।
कुछ अलग या नया नहीं लिखा आप सब वाकिफ है बस दर्द को अलफ़ाज़ दे दिए।