यूँ मायूस नज़रों से न देख मेरे यार
मेरे सीने में थोड़ी सी सांस अभी बाकी है
रोता है क्यों आज समन्दर के पार साहिल
मेरे जिंदा बचने की आस अभी बाकी है.

छूटा नहीं अभी मुहब्बत का तेरी दामन
फिर क्यों छाया है मातम का ऐसा आलम
अभी से पलकें क्यों लगे हो भिगोने
तुम्हे पाने की दिल में आग अभी बाकी है.

हाथ ना सरकने देना हाथों से अपने
अधूरे तोड़ न देना तुम वादों को अपने
वादे निभाने की मेरी चाह अभी बाकी है
मेरी क़ब्र में सुलगती राख अभी बाकी है.

यूँ मायूस नज़रों से न देख मेरे यार
मेरे सीने में थोड़ी सी सांस अभी बाकी है.

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