इन्तेहाँ मुहब्बत का आज दिया फिर देंगे कल
दिल करता है यूँ ही तुझे देखा करे हम हर पल
हमें यूँ शोख अदाओं के हवाले करके न दो चल
दिलवर : यूँ खंज़र न बदल यूँ कातिल न बदल

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