gangaputra भीष्म ने कहा "हे युधिष्ठिर यदि कोई परिस्थिति देश के विभाजन कि मांग कर रही हो तो शस्त्र उठाकर कुरुक्षेत्र में आ जाओ परन्तु राष्ट्र का विभाजन कभी ना होने दो। क्या तुम पांचो पांडव पुत्र माता कुंती को काटकर आपस में बाँट सकते हो ? यदि नहीं तो मात्र भूमि का विभाजन कैसे सम्भव हो सकता है ? जब जब कोई गंगापुत्र देवव्रत अपनी प्रतिज्ञा का दास बन राष्ट्र के विभाजन की और अग्रसर होगा तब तब कोई ना कोई अर्जुन अपने गांडीव से बाण वर्षा कर इसी तरह उस देश द्रोही को बाण शैया पर सुला देगा। हे युधिष्ठिर देश कि सीमाएं माता के वस्त्र कि तरह होती हैं, सदेव माता के सम्मान कि रक्षा करना चाहे इस कार्य में तम्हारे प्राण ही क्यों ना चले जाए"
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- ANAND BHATIA