मेरी पहली कविता.............
लिख रहा हूँ कि आगे लिख ना पाउूँ
कहने को है जो कहना बयाँ कर ना पाउँ
जिन राहों ने थामा था साथ मेरा
डरता हुँ उन रास्तों को भूल ना जाउू्ँ
यूँ तो हम बेवफा निकले,
पर आगे बढने मे कोई बुराई तो नही
यूँ तो राहें भी जाने कि लोट हम ना आयेंगे
पर जान कर अनजान बनने मे बुराई तो नही
मँजिल के नशे मे रास्ते मिट जायेंगे ,
सोचा न था
कयोँकि रास्तों ने तो कभी टोका न था
उन्हीं राहों की राह देख रहा हूँ
उनकी याद में चलो आज मैं भी लिख देता हूँ
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- DEVENDRA BALOTIYA
Comments (5 so far )
MALLUMELODY
wow
November 1st, 2013
actually even i cudnt understand few words here..then how would u???hehe
November 2nd, 2013
Author
thanks....
November 4th, 2013