चलोँ कुछ बात करतेँ है , थोङा तुम कहो थोङा सा मैँ
शर्त ये है कि तुम नजरोँ का इस्तमाल नहीं करोगी ॥
चाहे कुछ भी हो जाए तुम आँखोँ से नहीं बोलोगी
तुमको नहीं पता तुम्हारे बारे मेँ , कल रात दिल रो रहा था , मेरी आँखो से बोल रहा था अदला बदली को , ये की तुम धङकन बन जाओ और मैँ रोशनी .
अब क्या करुँ ? तुम गर नजरोँ से करोगी गुफ्तगु तो मेरी नजरेँ फिर न तुमको देख ले और फिर धङकनो का तुमको पता ही है
नकाब है तुमहारे पास ? होगा ही नहीं तुम्हारे पास !!
मुझे याद है , कि तुमहारे काले लिबाज ने कितनो के दिलोँ को गोधरा बनाया है॥ दंगे तो तुमने भी करवाए है वो अलग बात है तुम गुजरात से नहीँ हो॥
कुछ सुना मैनेँ शायद !हल्का सा !! कितनी बार कहा है ,जुल्फेँ समेट कर रखा करो , कानोँ के पास से मुस्कुरा कर गयी हैँ !!
चलो अब चलता हुँ , रात अपनी चादर बदल रहा है और नीँद आँखोँ के रास्ते से घुसपैठ मेँ लगा हुआ है
शायद तुम्हारा
धैर्यकान्त