ज़माना बदल गया है कम्पटीशन के इस युग में उत्पाद की सही मार्केटिंग बहुत जरुरी है Car खरीदने का मन हो तो सिर्फ एक फोन लगाइए कम्पनी का कर्मचारी कार लेकर आपके दरवाजे पर पहुँच जाएगा Features की लम्बी फेहरिस्त को बांचने के साथ कार की टेस्ट ड्राइव भी करवाएगा, एक दो बार चला कर देखिये पसंद ना आये तो मना कर दीजिये, गले में टाई पहने वो व्यक्ति आपको बड़ी सी smile के साथ थैंक यू बोल, कार लेकर निकल जाएगा .. पर फर्ज करे यदि टेस्ट ड्राइव के बाद आप कार खरीदने से मना कर दे पर वो मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव आप पर चढ़ जाए, बुरा भला कहने लगे और बाद में मुकदमा थोक दे तो आप पर क्या बीतेगी .. ??
कुछ यही हाल आज-कल युवा पीड़ी का हो गया है, पहले एक दूसरे को समझने के नाम पर Live-In का आधुनिक पैंतरा अपनायेंगे बाद में यदि खुदा ना खास्ता रिश्ता न चला तो एक दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगा कर दर्जन भर मुक़दमे थोक देंगे, कई मामलों में रेप तक के आरोप लगा दिए जाते हैं।
Live-In रिलेशन को अपनाने वाले दोनों लोगों में से कोई भी इतना नासमझ या मासूम नहीं होता की उसे इसके परिणामों का अंदाजा तक ना हो, आपसी सहमति से बने सम्बन्ध अचानक शोषण में कैसे तब्दील हो जाते है ?
यहाँ ना तो Live-In की वकालत की जा रही है ना ही महिलाओं की खिलाफत की जा रही है बस Jiah Khan और इसी तरह के और भी मामलों में मीडिया जिस तरह से लड़की के पक्ष में माहोल बनाती है और उसी के दबाव में पुलिस भी लड़के पर ऊल-जुलूल दफाए थोक देती है उस पर एक विचार व्यक्त किया जा रहा है ऐसी मुक़दमे पूरी तरह गलत और गैवाजिब है।
जिस तरह सिगरेट, शराब पीने से हुई बीमारियों के लिए उनका उत्पादन करने वाली कंपनियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, उसी तरह लड़का और लड़की दोनों को इस तरह के संबंधो के परिणामों को समझना चाहिए।
यह मुमकिन है की ऊपर रखे गए विचारों से आपके विचार भिन्न हो सकते है इसलिए इस मुद्दे पर आप भी अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र है।
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