पैरो की बेडीया ख्वाबो को रोके नही रे...कभी नही रे

मिट्टी की परतो को नन्हीसी अंकुर भी चीरे...धीरे धीरे

इरादे नये नये जिनके सीनो में घर करे

वोह दिल की सुने सुने... ना डरे...ना डरे

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