Ab tak na samjhe es jmane ko,
Chand baki hai Saase khud ko ajamane ko..
Biti baato ko yaad kr k bhi, kya rakha hai khone pane ko..
Lagta apna tha jo ab praya hai, kya hm hi mile the yu dil dikhane ko?
Dekho phir laut k wo kyu aaya hai, kya kuchh bach gya tha chhin le jane ko?
Kahdo us se ki nazre hta le wo, kya ab bhi dil hai uska mujhe stane ko?
Teri ruswai ne jo hmko mara hai, ab to layak bhi na bache hm dil lgane ko..
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अब तक ना समझे इस जमाने को, चंद बाकी है सांसे ख़ुद को आजमाने को।
बीती बातों को याद करके भी, क्या रख्खा है खोने पाने को।
कल तक अपना था जो अब पराया है,क्या हम ही मिले थे यूँ दिल दिखानें को?
देखो फिर लौट के वो क्यों आया है, क्या कुछ बच गया था छीन ले जाने को?
कहदो उस से की नज़रे हटा लें वो, क्या अब भी दिल है उसका मुझे सताने को?
तेरी रुसवाईयों ने जो हमको मारा है, अब तो लायक भी न बचे हम दिल लगाने को।।