आपके दिल मेँ रहूँ लहू बनकर
. . . . . अब ऐसी हसरत भी नहीँ
दरमियाँ बस फ़ासले हैँ यहाँ
. . . . . अब कोई क़ुरबत भी नहीँ,
साथ होते जो तुम तो ईनायत
. . . . . अब बिन तेरे हर एक पल बस है क़यामत
सच तो ये है अब हमे
. . . . . तन्हाई के शिवा किसी की जरुरत भी नहीँ,
अब कभी ख्वाब बुनने की जुर्रत करता नहीँ
. . . . . इक यही रिश्ता है बस मेरा तुझसे - तेरा मुझसे
भले हो ये मुकम्मल मुहब्बत नहीं
. . . . . . पर किसी खुदा की इबादत से कम भी नहीँ,
तुझे पाके खोने की डर ने हमे डराया इस कदर
. . . . . . .लकीरें जो बनाता हाथों में अपने तेरी मुहब्बत की
मिलने से पहले ही खोने को
..................कुछ तकदीर में मेरे बचा ही नहीं,
अब नज़र के आईने मेँ जो मई देखूं
. . . . . कोई दूजी सूरत नजर हमे आती नहीँ,
ना रहा वो मंदिर ही मेरा जिसकी तुम देवी थी
. . . . . . .कोई खुदा नहीं मेरा हमने तो की बस तेरी ही इबादत थी I