शायरों से जरा अदब से पेश आये जनाब ..
ना गरीबो ना अमीरो में .. हम तो कुछ अलग ही बस्ती में गिने जाते है......
जिनके "दिल" और "कलम" दोनों से ही
दिल में उमड़े जज्बात "शब्दो से " मोतियों जैसे पिरो दिए जाते हैं

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