क्या पता है आपको आज 16 दिसम्बर है... वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 16 दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी. इसलिए इस दिन को “विजय दिवस” के रूप में मनाया जाता है.. और इसी दिन 16 दिसम्बर 2012 को एक लड़की के साथ वीभत्स बलात्कार हुआ था, वो लड़की 29 दिसम्बर 2012 को यह शरीर सदा-सदा के लिये त्याग दिया था... हम आज बात करेंगे दूसरी घटना की: आपको पता ही होगा इस घटना की गूंज कई दिनों नहीं बल्कि महीनो तक संसद से लेकर सड़को तक गूंजती रही थी... पूरा देश आक्रोशित दिख रहा था... जगह-जगह कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन हो रहे थे... संसद में एक कानून भी बना था तथाकथित "सख्त कानून"... अब आते हैं मुद्दे पर क्या इतना सब होने के बाद भी इस तरह के घटनाओं में कमी आई है.... मुझे तो यही लगता है की नहीं हुआ है...
क्या हमने कभी सोंचा है स्थिति में सुधर क्यूँ नहीं हुआ है?? अब ये मत कहियेगा सोंचने की फुर्सत कहाँ है... कैंडल मार्च निकलने के लिए समय था आपके पास... विरोध प्रदर्शन के लिए एक दिन का छुट्टी ले लिया था आपने... फेसबुक पर फोटो भी उ भी 'हैशटैग' के साथ... लेकिन आपके पास समय नहीं है इस पर सोंचने के लिए... फिर काहे का प्रदर्शन, काहे का कैंडल मार्च, काहे का "सख्त कानून" ????
आधे घंटे पहले हम कैंडल मार्च निकल रहे होते थे और हैं.... सोशल मीडिया पर 'हैशटैग' के साथ पूरा समाज को बदल रहे होते हैं... और आधे घंटे बाद किसी चौराहे पर " ओह्ह्ह्हह क्या माल है यार " कर रहे होते हैं... क्या हमने दुसरे के बहन को छेड़ना छोर दिया है... अरे नहीं छोरा है भाई... तो फिर अपने बहन को कैसे सुरक्षित कह सकते हैं आप??? क्या खुद महिलाएं अबतक अपेक्षा रखना छोरा है कि हमारे साथ जो पुरुष है, वह हमारी रक्षा करेगा??? नहीं छोरी है.... जब हमारे सोंच में सुधर नहीं हुआ है तो इस स्तिथि में सुधर की बात करना बेमानी होगी...
मुझे भी पता है और आपको भी पता है सरकार की व्यवस्था लचर है... महिला सुरक्षा के नाम पर काम कम और भाषणवाजी ज्यादा जोती है... सरकार निर्भया कोष से जो योजनायें शुरू की है, उसका हालत खास्ता है... उससे सवाल कीजिए काहे की सवाल जरुरी है... लेकिन कुछ सवाल अपने-आप से भी कीजिए... की उस घटना के बाद हम कितना बदले हैं??? हमारी सोंच महिलाओं के प्रति कितनी सुधरी है??? क्या हम अपने घर में महिलाओं को वो अधिकार दे रहे हैं जिसकी बात हम सार्वजानिक जीवन में करते रहते हैं???
अगर आप अपने-आप से सवाल नहीं कर सकते तो महिलाओं की स्थिति में सुधार की उम्मीद छोर दीजिए... और आज फिर लग जाईए कैंडल मार्च की तैयारी में, मशगुल हो जाईए हैशटैग से समाज को बदलने में और लाते रहिए क्रांति.....