इन्तज़ार उस हकीकत का जो ख्वाबो मे नजर आये
मुस्कुराये ओर शरमा के चली जाये
सोचू जब भी उसके बारे मे
मेरी तनहाई उसकी खुश्बु से महक जाये
जो झूठ लगे जरा सा भी कभी वो बेवजह रुठ जाये
मै मनाऊँ उसे ओर वो लङते हुए मान जाये
मुस्कुराऊँ उसकि गबराई सी आखोँ को देख कर
ओर वो रोते हुए मेरे गले लग जाये
वो जमाने से जुदा लिपटी हो सादगी मे
मै जो हाथ बढाऊँ
ओर वो
मेरे हर सफ़र कि हमसफ़र बन जाये
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- PRAVEEN CHOUDHARY