भ्रष्टाचार से युक्त नहीं मुक्त भारत हो...
भ्रष्टाचार के मामले में भारत आज विश्व मंच कि 8 वीं पायदान पर खड़ा है और हर भारतीय इससे इतना त्रस्त हो चुका है कि उसे इस भ्रष्ट वातावरण में साँस लेना दूभर हो रहा है. पर मुश्किल यह है कि हम भ्रष्टाचार को कोसते अवश्य हैं पर उसके निदान के उपाय कि बात आती है तो मौन धारण कर लेते हैं.
भाई-भतीजावाद से युक्त नहीं मुक्त भारत हो... ये समस्या इतनी गहरी जड़ें जम चुकी है कि इसका निदान आसान नहीं. भारत के राजनितिक गलियारों से लेकर घर कि दहलीज तक भाई-भतीजावाद का परचम पूरे वेग से फहरा रहा है.किसी भी राजनितिक पार्टी में किसी नेता का रिश्तेदार होना राजनीति के व्यवसाय में एक अतिरिक्त योग्यता है जो आपके जीवन भर के भरण-पोषण का स्थाई इंतजाम कर देता है और अगर आप किसी भी नेता के पुत्र या पुत्री हैं तो समझिये की कुर्सी ताउम्र है आपकी. इस तरह के वातावरण ने भारत की राजनीति के तालाब को इतना गन्दला कर दिया है की उसे पारदर्शी करने में पीढियां निकल जाएँगी , वस्तुतः राजनीति में इतना नैतिक पतन हो चुका है की आम इन्सान इससे दूर रहना चाहता है, पर इस तरह का भारत आम इन्सान को नहीं चाहिए , पर इसे बदल भी वही सकता है.