तुम्हारी आँखों पर लगा कर चुल्लू
पहले तो हर बूँद उदासी की पी लूँगा
फिर चलेंगे हम तृप्त, हर्षमय हाथ थामकर
हर चमेली के बाग़ में
ग्रीष्म के ओज से अधपके
आम के वृन्दों के नीचे
हाँ चलेंगे हम बसंती रंग के पार
उछल पड़ोगी तुम मारे ख़ुशी के
तुम्हारी दो चोटियां बंधी
लाल रंग के फीते में
मैं लुढ़कूँगा पागल सा लड़का
गीले गेहूं के खेतों में
थोड़ी मिट्टी में सने
थोड़े पसीने के भीगे
देख कर एक दुसरे की ओर
मुस्कुराएंगे
फिर भाग पड़ेंगे एक और
नहर के किनारे की ओर
:-)
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- ASHISH CHAUHAN
Comments (3 so far )
THE QUILL....
ab kuch hi log itni acchi hindi me likh pate hain....tooo good bhai :).
March 25th, 2014
Author
Thank you The Quill :)
I have seen some remarkable Hindi work from some of poets. Try reading old poems of Arak Vatsa or Praveen Chaudhary.
I have seen some remarkable Hindi work from some of poets. Try reading old poems of Arak Vatsa or Praveen Chaudhary.
March 25th, 2014