मै भाव सूची हूँ उन भावो कि जो सदा बिके है बिन तोले....
मै तनहाई हूँ उस खत कि जो पढा गया है बिन खोले....
हर आँसु को हर पत्थर तक पहुचाने कि लाचार भूख....
मै सहझ अर्थ उन शब्दो का जो सुने गये है बिन बोले......
जो कभी नही बरसा खुल कर हर उस बदल का पनी हूँ....
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की राम कहनी हूँ......
जिनके सपनो के ताज महल बनने से पहले ही टूट गये...
जिन हाथो मे दो हाथ कभी आने से पहले ही छूट गये ....
धरती पर जिनके खोने ओर पाने की अजब कहानी है....
किस्मत की देवी मान गई पर प्रणय देवता रूठ गये....
मै मैली चादर वाले उस कबीर की अम्रत वाणी हूँ ...
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की राम कहनी हूँ......
कुछ कहते है मै सीखा हूँ अपने जख्मो को खुद सी कर ...
कुछ जान गये मै हँसता हूँ भीतर भीतर आँसु पीकर.......
कुछ कहते है मै हूँ विरोध से उपजी खुद्दार विजय गाथ ....
कुछ कहते है मै जीता हूँ खुद मै मर कर खुद मे जी कर .....
लेकिन मै हर चतुरई की सोची समझी नदानी हूँ ....
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की राम कहनी हूँ......