ताल पे धडकनों के..थिरकती ये सांसे..
हवाओ की आहट के संग...बढती ये आंहे..
करती है बयां ..
किस कदर इश्क है हमे तुमसे...!!
तेरे आँखों की मुशकुराहट..
बारिश की थपकियो सी..
तेरे कदमो की सरसराहट..
एक ख्याल तेरा...जेहन की दीवारों पे..
उतार जाता है तेरी झिलमिलाहट..
यूँ तेरा ना होकर भी..
हर पल पास होना..
करता है बयां...
किस कदर इश्क है हमे तुमसे..!!
तुझमे है दुनिया...लोगो में तू हैं..
दौडती भागती सी..लहरा के दुप्पटा..
चूमती माथे को तू है..
चार होंगे दिशाए..चल माना..
मेरे लिए तो बस.. तू ही तू है..
हूँ मैं...कोई "अमृत" सा..
कहते है लोग...मुझे क्या करना..
मुझे तो..मुझमे भी..
दिखती बस तू है..
यूँ अजीब सी मिलावट का होना..
करता है बयां..
किस कदर इश्क है हमे तुमसे..!!
-अमृत राज
Tags: