एकांत का स्वर
अंतहीन और निर्द्वंद है,
शक्ति विहीन है
लेकिन तीव्र अंतर्द्वंद है,
कर्म का सूचक
धर्म का सारथी
एकांत का स्वर
मादक है
दिशाहीन है
सृष्टिहीन विचारों से लथपथ
एकांत का स्वर
गतिहीन है
एकांत का स्वर
शक्तिहीन है.
पीत वर्ण से लिप्त
एकांत का स्वर
अग्नि का पर्याय है
जीवन के वर्ण से अंकित
एकांत का स्वर
मृत्यु का ध्येय है
तृष्णा का बीज
अंत सा निर्जीव
एकांत का स्वर
शक्तिहीन है
आक्रोश से भरा
भय से व्याप्त
ये स्वर मादक है
किन्तु जीवन में विलीन है...
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- ADITYA PANT