जिन लबों पर
मुस्कुराहट के वास्ते
शहर छोड़ा
... मैंने,,,,,,,,,,,,,,,
रुक्सती पर मेरी
यूँ तो
खामोश रहे पर ,,,,,,,,,,
थरथराये बहुत.....................
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- PRAVEEN CHOUDHARY