कुछ पत्थरों में भी फूल खिल जाते है,
कुछ अनजाने भी अपने बन जाते है,
कुछ लाशों को कफ़न नसीब नहीं होता,
और कुछ लाशों पर ताज महल बन जाते है |
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- ARAK VATSA