वो बचपन की शैतानियाँ
लड़कपन की नादानियाँ
माँ के आँचल की छाँव
मेरा प्यारा सलोना गाँव
वो माँ की लोरी
वो दूध की कटोरी
वो बागों में झूले
वो खट्टे टिकोले
वो कंचे वो लूडो
वो कब्बडी वो पिट्टो
वो प्यारी सहेली
दादू की पहेली
वो बचपन अनोखा
गुजर गया जैसे हवा का कोई झोंका
अब जो है जिंदगानी
है ऐसी कहानी
ये दफ्तर ये आफत
चले जाने कब तक
दिलो के ये मेले
हैं फिर भी अकेले
ये उलझन ये हैरत
ये दुनिया बेगैरत
ये घर से जो दूरी
ज़िन्दगी ये अधूरी
ये ईर्ष्या ये द्वेष
दिलों में क्लेश
ये चाहू के जाय मेरी दुनिया फिर से बदल
बड़े याद आते हैं वो बचपन के सुकून के पल|
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- AANYA VERMA
Comments (9 so far )
SRIJAN SRIVASTAVA
hats off ... simply awesome...
June 16th, 2012
Author
thankyou :) :)
June 16th, 2012
Author
shukriya..
July 12th, 2012
Author
:)thnx..
September 9th, 2012
Author
thanx arnica
June 18th, 2013