उन्नाव के एक साधू ने जब सपने में 1000 टन सोना देखा तो वहाँ पुरातन विभाग कि टीम के साथ उस खजाने पर अपना हक़ जतलाने वाले कई तथाकथित वंशज भी पहुँच गए। कोई खुद को राजा का वंशज बतलाने लगा तो कोई स्वयं को सेनापति के खानदान कि पैदाइश। जहाँ राज्य सरकार पूरे के पूरे सोने को अपना बताया तो वहीं गाँव वालों ने खजाने में अपना हिस्सा मांगने में देर ना लगायी। Airport से लेकर यूनिवर्सिटी तक कि मांग हो गयी। खुदाई ख़त्म हो गयी और सबको मिला बाबा जी का ठुल्लु।
आजकल यही हाल सरदार वल्लभ भाई पटेल और जय प्रकाश नारायण का है। एक तरफ जहां कांग्रेसी सरदार पटेल और नितीश JP पर अपना copyright बता रहे है, वहीं दूसरी तरफ Narendra Modi ने बड़ी चतुराई से लोह पुरुष और जय प्रकाश को कांग्रेस और JDU कि झोली से चुरा अपना ब्रांड एम्बेसडर बना लिया। कांग्रेसी बौखला गए है, नितीश का पारा चढ़ा हुआ है पर कुछ भी कहिये आखिरकार इस मुल्क को नेहरू गांधी परिवार के अलावा भी किसी और के बलिदान कि याद आ ही गयी।
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