एक सुबह ऑफिस पहुँचते ही हमारे बॉस ने हमे बुला कर कहा कि कुछ trainees भर्ती हुए है और मुझे जाकर उन्हें company के बारे में presentation देना है। एक दो बन्दों को समझाना हो तो कोई बात नहीं पर सौ सवा सौ के सामने माइक पकड़ने में दिल कि धड़कन तो बढ़ ही जाती है। मेरे चेहरे का उतरा हुआ रंग देख बॉस उत्साहवर्धन करते हुए बोला कि फ़िक्र क्यों कर रहे है वहाँ तुम्हारे अलावा किसी को कुछ नहीं आता होगा, बोल बाल कर आ जाना। कुल मिलाकर उन्होंने हवा भर दी और मैं उड़ने लगा। Auditorium में जाकर स्टाइल से माइक उठाया और शुरू हो गया। एक slide पर जाकर कुछ numbers गलत बता दिए सोचा किसको पता चलने वाला है। पर मियाँ मौत आनी होती है तो मच्छर का डंक भी तलवार का काम करता है। सामने कि भीड़ से एक लड़का उठा और बड़े confidence के साथ बोला सर जी ये इतना नहीं इतना होता है। मेरी तो बोलती बंद हो गयी, सारी कि सारी हवा निकल गयी। बड़ी मुश्किल से मुंह खुला, मैं अपनी झेप को छिपाते हुए बोला ओह हाँ तुम सही कह रहे हो। वो बैठ गया और फिर जैसे तैसे काम पूरा कर मैं वहाँ से निकल आया।
कुछ यही हाल पटना रैली में नरेंद्र मोदी का हुआ। जनाब को उस दिन ना जाने क्या हुआ था, पहले पाकिस्तान स्थित तक्षशीला को बिहार का हिस्सा बता दिया फिर मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य को गुप्त वंशी बता दिया। कुल मिलाकर इतिहास का ऐसा बाजा बजाया कि भैया इतिहास के मार साब के भी आंसू आ गए होंगे। दिग्गी बाबू ठहाके लगा रहे होंगे।

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