सपने में साधू महाराज को सोने के भण्डार दिख गए, अच्छा है। बाबा जी कृपा करके तेल, गैस, कोयले, लोहे आदि के भी भण्डार देख ले तो देश का कुछ भला हो जाए। पर फ़र्ज़ करें बाबाजी की बात सही साबित होती है तो भला इंजीनियर बाबुओं को फिर कौन पूछेगा। Shell, British Petroleum से लेकर खनन क्षेत्र की बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में बाबा जी को recruit करने की होड़ सी लग जाएगी। कुछ तो शायद उन्हें partnership तक भी ऑफर कर दे। रात को सपना देखो, सुबह उठकर खुदाई शुरू। बस इसी तरह चलेगा हमारा ये मुल्क। मुंगेरीलाल के हसीन सपनों के बलबूते होगा इस मुल्क का विकास।
देखिये बात यहाँ यह नहीं है की साधू का स्व्प्न सही है या गलत पर, हो सकता है कोई दिव्य पुरुष हो या कोई देवदूत। पर उन चंद सोने के सिक्कों से देश कितने दिन खुशहाल रह सकेगा ? असली खुशहाली तो तब होगी जब हम अपनी असली दौलत को पहचानेंगे, जो गली मोहल्लों में यूँ ही बिखरी पड़ी है। वो दौलत और कोई नहीं हमारे बच्चे है। हर बच्चा अपने आप में एक खजाना है। हमें बस इतना प्रबंध करना है की उसे सही शिक्षा मिल सके। रोजगार के अवसर मिल सके। बस तभी आएगी इस देश में सही मायनों में खुशहाली।
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