BTech कर रहे थे, और जैसे सरकार को चुनाव से एक दो महीने पहले जनता की याद आती है वैसे ही हमे अपनी किताबों की आती थी। वैसे भी ज्यादा पढने लिखने वाले नहीं थे। डिपार्टमेंट के सामने वाले साइकिल स्टैंड पर खड़े-खड़े ही हमारी पढ़ाई हो रही थी।
बरसात की एक सुहानी सुबह उसी साइकिल स्टैंड के सामने से गुजरता हुआ एक चेहरा देखा, प्यार सा, मासूम, एक दम अनछुआ। बैकग्राउंड में गाना बजने लगा "तुम हुस्न परी, तुम जाने जहां, तुम सबसे हसी, तुम सबसे जवां, सौन्दर्य साबुन @#$%^&*( ……"। दखते ही हम सबको को उस से प्यार हो गया, लाजमी भी था उमर ही ऐसी थी। सारे छोरे काम पर लग गए, उसके नाम पते से लेकर उसके बाप भाई का भी पता लगा लिया।
अब मामला था बात करने का, दो लड़के कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे। शर्त लगी और एक ने direct जाकर coffee के लिए पूछ लिया। होना क्या था ? मुंह लटकाए बैरंग लिफ़ाफ़े की तरह लौटते नज़र आये। माथे पर बेहूदा लड़के का tag और लगवा आये। अब भैया यह तो कोई तरीका ना था। दूसरा समझदार था, कुछ दिन शांत रहा। फिर अचानक एक दिन लड़की के सामने जा खड़ा हुआ, बड़े सलीके से पुछा "excuse me आपने यह सलवार सूट क्लोथ मार्केट से लिया है ? मेरा मतलब कौनसी दूकान से, actually राखी आ रही है और मुझे मेरी sister के लिए कुछ भेजना था। आपका सूट देखा तो लगा ये सबसे अच्छा रहेगा।" वह एक सांस में सब कुछ बोल गया। लड़की एक दम सन्न रह गयी पर एक भाई की भावनाओं को देख उसका दिल गद गद हो गया। दूकान का नाम बताया और और कपडा पहचानने की टिप्स भी दी। लड़का सर खुजलाता हुआ नादान बना खडा रहा। आखिर में तय हुआ की लड़की साथ चल कर सूट दिलवाएगी। नियत तिथि पर लड़का Deo की पूरी बोतल खुद पर उड़ेल लड़की के साथ शौपिंग पर निकल गया। एक सूट खरीदा और cafe coffee day में एक 2 घंटे में एक coffee और कहानी शुरू ...............................................
for more updates please like Diary of an Indian @ facebook