करो सच्ची इबादत, फिर इबादत का असर देखो
उफ़नती मौज़ पर बनती हुई एक रहगुज़र देखो ....... (रहगुज़र-रास्ता )
ये उजली चाँदनी भी रात का ही इक नज़ारा है
न लिपटो बाँह से इसकी, बढ़ो, रोशन सहर देखो ....... (सहर- सुबह )
किसी बच्चे की आँखों की चमक तुम रोप लो दिल में
क्षितिज तक झिलमिलाती रोशनी फिर उम्र भर देखो
बिना सोचे ही भागे जा रहे कब से अन्धेरे में
कहाँ जाती हैं ये राहें कभी पल भर ठहर देखो
कोई नफ़रत मुहब्बत से बड़ी होती नहीं यारो !
मिटेंगी रंजिशें, दो बोल मीठे बोल कर देखो
झुका है चाँद कोई आज फिर दिल के समंदर पर
मेरे जज़्बात की लहरें मचलतीं किस कदर देखो
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- PRATAP SINGH