रावण अच्छा भला आदमी था, ज्ञानी, वीर और अदम्य साहसी। अपनी तपस्या से शिव जी तक को प्रसन्न कर दिया था। औरत के चक्कर में कट गए भाईसाहब। खुद के सिर कटवाए, बहन की नाक। कुम्भकरण को बड़ी नींद आती थी, इनके चक्कर में हमेशा के लिए सो गया। और देखा जाए तो किया भी क्या था ? सीता जी को private jet से लाये, सारी facilities वाले Sri Lankan Royal Suite में रखा, नौकर चाकर, खाना पीना सब कुछ। सबसे बड़ी बात छुआ तक नहीं, फिर भी राम जी को दया नहीं आई, चला दिया तीर नाभि पर। उन्होंने मारा वो तो ठीक, हम और हर साल पुतला जलाकर खुश होते रहते है। कुल मिलाकर खाया पिया कुछ नहीं, ग्लास तोडा बारह आना।
चलिए छोडिये, रावण का तो जो होना था हो गया, पर इतना जरूर कहा जा सकता है की राम का ईश्वरीय स्वरुप रावण की ही देन है। राम को पूजनीय बनाने वाला रावण है। Villain के बिना Hero का कोई मोल नहीं। समाज को Hero चाहिए, रोल मॉडल्स चाहिए, एक ऐसा आदर्श व्यक्तिव, जिसका अनुसरण किया जा सके। स्कूली किताबों में जिसके महान चरित्र और कारनामों का वर्णन किया जा सके। रात को सोते वक़्त बच्चों को उसके किस्से कहानिया सुना कर प्रेरित किया जा सके। बस इसी जुगत में लेखक बुराई को एक दो shade और dark कर देते है और अच्छाई को milky white बना देते है। शायद रावण के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ हो। शायद राम के चरित्र को उभारने के लिए रावण के color को कुछ ज्यादा ही कंट्रास्ट कर दिया गया हो।
जो भी हो सही यही होगा की रावण से घृणा करने की बजाय हम राम के सद्कर्मों को अपना आदर्श बनाए।