सागर पे सोई हुई डूबते सूरज की झिलमिलाहट
टिमटिमा कर कह रही है हमसे
ज़िन्दगी बड़ी हसीं है ऐ बेगैरत
इसे मायूसी की रात में ना ढलने दे
कोरे कागज़ की सफेदी रोशन हैं बड़ी
सागर सी उजली स्याही कह रही है हमसे
ये ख्वाहिशें खोकली नहीं हैं ऐ बेगैरत
इन्हें मायूसी की रात में ना ढलने दे
दर्द के साये में पली बढ़ी ये मुस्कराहट
गले से लगा कर कह रही है हमसे
ये दर्द बहुत मीठा है ऐ बेगैरत
इसे मायूसी की रात में ना झड़ने दे
किसी रोज़ ना रहेगी ये झिलमिलाहट
ना रहेंगी ये ख्वाहिशें किसी रोज़
ये मुस्कराहट ही चंद साँसों का साथ देंगी
इसे मायूसी की रात में ना दबने दे...
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- ADITYA PANT
Comments (1 so far )
ALKA PANT
zindagi wakai main bhot khoobsurat hai.....
September 28th, 2012