हर पहली मुलाकाल कुछ अधूरी होती है
बात खत्म न कर पाने की एक मजबूरी होती है
अधूरी बात से एक और मुलाकात होगी
उस मुलाकात में फिर थोड़ी और बात होगी
इस तरह कम पड़ने लग जाती हैं बातें
पर मन चाहता है कुछ और मुलाकातें

अब तलाश शुरू होती है नए बहानों की
चाय कॉफी के साथ कहानी किस्सों की
इन मुलाकातों का सिलसिला अच्छा लगने लगता है
रात दिन इन्ही का इंतज़ार रहने लगता है
अजीब जज़्बात जुड़ जातें हैं हर एक मुलाकात से
ख़ास होते हैं ये, गर देखें इन्हें ज़रा पास से

जिन मुलाकात का हम इंतज़ार बेसब्री से करते
वो पल कभी शायद याद भी नहीं रहते
कुछ मुलाकातों में इतने हसीन लम्हें है बसते
याद करके जिन्हें हम मुस्कुराते नहीं थमते

:))

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