कभी तो ख़त्म होगी यह स्याह रात
फिर तुम्हारी मुस्कराहट
किरणों की पालकी चढ़
उतर आयेगी क्षितिज से
और
मेरे भोर के बदन पर पड़े हुए
ओस के फफोले
झिलमिला उठेंगे मोतियों की तरह
मैं प्रतीक्षा करूंगा अनंत तक.….
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- PRATAP SINGH
Comments (4 so far )
ETERNALME
Good going Pratap.. The last line is WOW.
October 2nd, 2013
Author
thank you so much.
October 2nd, 2013
Author
thank you nishant !
October 4th, 2013