भाईसाहब ये चोकलेट भी क्या चीज़ बनायी गयी है, हमारे बच्चे के दांत खराब कर दिए। चिपक जाती है दांतों में। अब बेचारे बच्चे दिन रात तो मुंह में ब्रश दबाये नहीं घूमते रहेंगे ना, लग गए कीड़े दांतों में और छोटी सी उमर में मुंह से से एक-एक करके सारे दांत ऐसे गायब हुए जैसे इस मुल्क से इमादारी। ऊपर से आप इन आफत की पोटलियों को इतना स्वादिष्ट बना देते हैं, की बच्चा तो खाना भी तब तक नहीं खाता जब तक उसके हाथ में एक चोकलेट ना थमा दी जाए। गलती आपकी है, सरासर आपकी, आखिर ऐसी बेफिजूल की चीज़े आप बनाते ही क्यों है ? जिनसे बच्चों की सेहत ख़राब हो। अरे मैं तो कहता हूँ, सारी चोकलेट की फैक्टरियों पर ताला जड़वा देना चाहिए।
कुछ ऐसा ही नज़ारा राष्ट्रीय एकता परिषद् की बैठक में देखने को मिला जब एक-एक करके हर राजनैतिक दल के नेताओं ने कौमी दंगो के लिए social media याने facebook, twitter को जी भर कर कोसा। साम्प्रदायिक हिंसा की सारी जिम्मेदारी इन के मत्थे मड दी। कोई पाबंदियां लगाने की बात कह कर निकल गया तो किसी ने अमेरिका से लेकर असम तक के हर दंगों में सोशल मीडिया का role बता दिया। सबसे मजेदार बात तो यह है की इन में से अधिकाँश वे नेता थे, जिनके facebook अकाउंट विदेशी PR कंपनियां मेन्टेन करती है। उचक-उचक कर बोलने वाले ये नेतागण social मीडिया में अपनी छवि को चमकाने और ज्यादा से ज्यादा likes पाने के लिए ऐसी कंपनियों को करोड़ों रुपया देने से भी गुरेज नहीं करते।
कुल मिलाकर रसोई घर में केरोसिन के डिब्बे या रसोई गैस से आग फ़ैल सकती है पर आग लगने की शुरूआती वजह वो नहीं होते। वजह बहुत सी हो सकती है पर उसके लिए आप घर में केरोसिन या गैस सिलिंडर रखना बंद कर देते, यह तो समस्या का कोई समाधान ना हुआ। यहाँ समस्या की जड़ पर हम बात नहीं करेंगे, वह सही भी नहीं होगा, पर यह साफ़ है बच्चे से home work कराने से लेकर उसे शान्ति से बैठाने के लिए आप चोकलेट को हथियार की तरह इस्तेमाल करते रहे और फिर दांत ख़राब करने की जिम्मेदारी चोकलेट पर डाल दी आये, यह सही नहीं है।