तूने देखा है कभी एक नज़र शाम के बाद |
कितने चुपचाप से लगते हैं शज़र शाम के बाद ||
तू है सूरज तुझे मालूम कहाँ रात का दुख |
तू किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद ||
Sign In
to know Author
- PRAVEEN CHOUDHARY