तूने देखा है कभी एक नज़र शाम के बाद |
कितने चुपचाप से लगते हैं शज़र शाम के बाद ||
तू है सूरज तुझे मालूम कहाँ रात का दुख |
तू किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद ||

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