तुम तक न पहुच पाने की कसमसाहट में
कुछ शब्द छोड़ दिए हैं कमान से
शायद वो तुम्हे छु आये और मुझे पता दे
कैसी हो तुम क्या महसूस करती हो। .
पर शब्द मेरे तुम्हारे शब्दों को लेके आये
धार दार शब्द, कुछ चुभे, कुछ समेटे
फिर कुछ शब्द वापस प्रत्यंचा पे रखूँ
या इस अहसास को, इस प्रयास को समझूं
तुमको पाना , जानना , एक हो जाना है
शब्द तो बस सन्देश वाहक है , मूक , हतप्रभ
मेरे तुम्हारे संवादों को ढ़ोते हुए। ।
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Comments (5 so far )
Author
bahut sundar
September 17th, 2013
कà¥à¤› à¤à¥€ कहने को शेष नहीं है
September 17th, 2013
Author
कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है ..
September 17th, 2013
कà¤à¥€ मैंने à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› लिखा था --
हमारी हर मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ के अंत में
कहा गया
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ आखिरी शबà¥à¤¦
बरà¥à¤« की चादर सा
बाकी सारे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को ढà¤à¤• लेता है
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चेहरा
मà¥à¤à¥‡ उस चादर में
डूबता उतराता सा दीखता है
मैं पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करता रहता हूà¤
बरà¥à¤« के पà¥à¤¨à¤ƒ पिघलने का.