चिता के बुझते हुए अंगारों नें आवाज दी
आत्मा बची है वो भी देते जाओ ,

क्या करोगे इसे बचा कर अपने पास
दुनिया शरीर की आग ही लेती है ,

आत्मा का सच्चाई से कुच्छ नहीं मिलेगा
यहीं छोड़ जाओ कम से कम यहाँ जगह तो है। .

मन नें भभूत सी ओड ली है
कोई भी बात अब महसूस नहीं होती ,

शिव शमशान में नहीं पूरा शमशान शिव है
शाश्वत निरंतर अनंत निशब्द ..

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