पुरुष होने का अभिशाप ही तो था
वो तुम्हारा बेवजह मुस्कुरा देना ,
और मेरा एक अप्सरा को गढ़ देना
जैसे मंदिर में एक पत्थर की मूर्ती। .
पत्थर की मूर्तियों के ह्रदय नहीं होते
सिर्फ होते हैं सुन्दर आकार और मुद्राएँ,
वो मुस्कान कितनी क्रूर हो सकती है
पीछे छिपी हो जब तराशे जाने की व्यथा। .
हाँ तुम ने प्रेम की बातें बहुत की थी मुझसे
और अक्सर मुझसे भरोसे की चाह की थी ,
पर शायद मेरे विश्वास की रस्सी ही थी
जो मेरा दम घोटने के लिए तुमने चुनी ...
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Comments (7 so far )
Author
True .
September 17th, 2013
Author
thanks all.
September 22nd, 2013
Author
Thanks Neighbor for the wow
September 12th, 2014
जो मेरा दम घोटने के लिठतà¥à¤®à¤¨à¥‡ चà¥à¤¨à¥€ ... vishwaash me hi vish ka vaas hai