चाहतों के बोझ से दबा सा जाता है ,
आज इंसान कमतर नजर आता है ..
यूं तो बंद रहती हैं आँखें मेरी अक्सर ,
तेरा दिया जख्म हर रोज नजर आता है ..
Comments (1 so far )
Author
Beloved hummer, thank you :)
September 12th, 2014