लगभग २३ वर्षीय सुंदर नवयुअक ,
अपनी किस्मत का स्वयम् परिचायक ,
तन पर एक कमीज़ पतलून ,
सुखद आशायें लेकर गया था देहरादून ,

नवें क्रमांक पर था उसका नाम ,
पायलट बनने का था मन में घुमान ,
चूर हो गया यह घुमान ,
जब हुआ आठ का सम्मान,

आँखों का यह एक सपना ,
करना चाहा था उसने अपना ,
पर नियती को था कुछ और ही मंजूर ,
हो गये सपने सब चूर - चूर ,

स्वामी शिवाननद ने दिया फिर उसे सहारा ,
ऋषिकेश में रहकर ही उसने अपने सपनो हो सवारा ,
सितारों को छूने की थी उसकी आशा ,
मेहनत से ही पाई उसने जीवन की सही परिभाषा ,

किसे पता था के वो कहेलाएगा "मिसाइल मैन " ,
वीना के तारों से झन्क्रत करेगा ,
सर्वोच राष्ट्रपति भवन ,

बच्चों का है वो सबसे प्यारा ,
कहतें है की -
है वो आदर्श हमारा ,
अब तो बूझो उसका नाम ,
हमारें पूर्व राष्ट्रपति महामहिम "अब्दुल कलाम".......

****** अर्थ से परीपूर्ण इस दुनिया में अपने जीवन का अर्थ (उद्देश्य ) तलाशतें हुए..

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