तेरी साजिश ऐ खुदा अब छुपी नहीं है
जी कर ये सीखा की मरना कहीं ज्यादा हसीं है,
तुने दिल उलझाया इश्क बना कर
तुने दिल को रुलाया अश्क बना कर
ये बंदा तेरी कयानाथ से बखूबी वाकिफ है
तेरी साजिश ऐ खुदा अब छुपी नहीं है.
इन हाथों की लकीरें धुंधली हो उठी हैं
इस माथे की सिलवटें सिमट चुकी हैं,
किस्मत जो तेरी ढाल थी
वो ढल चुकी है
ये आवारा अब तेरा प्यादा ना रहा
तेरी साजिश ऐ खुदा अब छुपी नहीं है.
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- ADITYA PANT