ये आँगन सूनापन सह गया एक शख्स का
जो था मेरा कभी, अब है किसी अक्स सा,
उस नादाँ की बाहें थी भीगी सी
उस दीवाने का प्यार था गिला सा
उसकी ज़िद थी अनसुनी सी
उसके ना होने का दर्द है सीला सा
मुझे नहीं हासिल गर्माहट उस शख्स की
मुझे नहीं हासिल प्यार उस अक्स का
मेरी शिकायतें घुल गई
मेरा प्यार ढल गया
तेरे इस बेटे का प्यार
रह गया धुन्दला और धीमा सा...
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- ADITYA PANT