नरम हाथों बनी रोटी से दूर
रात की थाली खुद लगाता हूँ,
नहीं चलता अब नंगे पाँव फिर भी
मीठी सी डांट के लिए तरस जाता हूँ,
चोट लगे तो रोता नहीं मैं अब
हल्दी वाला दूध खुद ही बना लेता हूँ,
मेरा माथा अब अकेलापन है चूमता
अपने गाल अब खुद ही खींच लेता हूँ,
नहीं है यहाँ कोई जो मुझे सोने को बोले
खुद ही ओढ़ी ओढ़ कर सिकुड़ जाता हूँ,
कैसे तेरे पास आऊँ तेरी गोद में तुझे बताऊँ
माँ मैं तुझे रोज़ बहुत याद करता हूँ...
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- ADITYA PANT
Comments (5 so far )
PREET .....NOMAD
Excellent
September 22nd, 2012
Mother isn't just a blessing, she is a divine grace.. and words weren't made to describe such a beautiful nature of god.. :)
nicely written.. :)
nicely written.. :)
July 4th, 2014