मृग तृष्णा की चाह कभी
मन की उतंग उड़ान कभी !!
मासूम कभी ,शैतान कभी
जीवन की पहचान कभी !!

अंतर की एकल आस कभी
सुरभित पुषों की छाव कभी !!
मुस्कान कभी ,मदहोश कभी
सांसो पे बजता राग कभी !!

गगन पे फैली प्यास कभी
अमृता का विस्तार कभी !!
आरोह कभी, अवरोह कभी
वीणा की मधुर झंकार कभी !!

कुछ ऐसे अहसासों सा ,
तुम संग प्रेम संवाद अभी !!

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