ज़िन्दगी तेरे बिन तसल्ली कर लेगी
तू मेरी आदत है धीरे धीरे बदलेगी

आज मुलाक़ात पे ख़ामोशी का पहरा है
सुनेगी मेरी नज़र तेरी नज़र बोलेगी

सोचता हूँ तेरी यादों से दोस्ती रखूँ
कुछ रोज़ तबियत तो ज़रा संभलेगी

तीरगी तुझसे मिलूँ पहले तू ही आ
रौशनी फिर कभी मुझसे मिल लेगी

जीत पे अपनी इस कदर ना तू इतरा
ये ज़िन्दगी है रोज़ नए इम्तिहाँ लेगी

-----शिव दीक्षित

Tags: Love

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