मेरे हबीब मेरा ख्याल इतना कर
मेरी मजबूरियों को समझा कर

ज़मीं भरोसे की अभी कच्ची है
कदम संभल के ज़रा रक्खा कर

मुझमें कुछ मेरा भी तो रहने दे
इस क़दर प्यार तू मुझसे ना कर

ऐ मुझे संगदिल कहने वाले
अपनी गुस्ताखियाँ भी देखा कर

तेरी नज़दीकियों से आजिज़ हूँ
ज़िन्दगी अब तू मुझको तनहा कर

-शिव

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