तुम गले में इस तरह बाहें न डालो
मचलती आरजुओं को ज़रा सा तो संभालो

आये हो ज़माने से छुपते छुपाते
ज़रा साँसें संभालो और ये दामन संभालो

-’मुसाफ़िर’

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