#रशीद मसूद #राज बब्बर #फारुख \उमर अब्दुल्ला #दिग्गीराजा(दिग्विजय सिंह) #राजनीति #हद है यार
प्रिय पाँच रुपये,
खाते पीते कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने आज पाँच रुपये का जो सम्मान किया है उससे मैं बहुत ख़ुश हूँ। पाँच रुपये को कोई कुछ समझ ही नहीं रहा था। जब से सिक्का चरन्नी हो गया है सारा भार पाँच रुपया पर आ गया था । बारातों में पाँच रुपये की गड्डी उड़ते देखी है। बैंड मास्टर को नवाज़ कर हवा में उछालते हुए।
पनटकिया का क्या जलवा होता था। पांच का नोट मिला नहीं कि मिठाई की दुकान पर। देहातों में तीन पत्ती में पांच रुपये को पांचाली की तरह दांव पर लगते देखा है। रेड लाइट पर देखा है लोग अब कार के डैश बोर्ड से पाँच का सिक्का ही देते हैं। जिसे देखो वही पाँच रुपया दान दिये जा रहा है। इतने कम में दानवीर बनने का सुख प्राप्त किये जा रहे हैं सब। यही वो पाँच रुपया है जिसे मोदी के लिए प्रति श्रोता वसूला जा रहा था। जो लाख से मिलकर पाँच लाख होकर उत्तराखंड में रौनक़ बहाल करने वाला है। पाँच रूपये के कितने ही चिप्स के पैकेट सड़कों पर मिल जायेंगे। जिन्हें खाकर ग़रीबों के ललना पेट जलाते हैं । अमीरों के बच्चे ज़िद में पाकर ख़ुश हो जाते हैं। पाँच रुपया चौराहों पर शनिदेव की टँकी में खूब टपकाया जाता है। पाँच रूपये में कुछ मिलता तो लोग ऐसे बाँटते न चलते। सबकुछ शांति से चल रहा था।
रशीद मसूद साहब ने पाँच रुपये की औकात लगा दी। एक टाइम का खाना मिलता है पाँच रुपये में। पाँच रुपये का ऐसा टाइम आ गया सुनकर चकरा गया। रशीद साहब भी खाते हैं। बीमारी की वजह से। हवा और पानी फ़्री का हो तो शायद बाक़ी दाल पानी आ जाता होगा। पता ऐसा बताया जैसे लंदन का हो। जामा मस्जिद के लोग भी भटक रहे हैं। पाँच का खाना खाने के लिए। फटे पुराने नोट बदले जाने की दुकानों के आगे लाइन लगी है। पाँच नया कर रहे हैं। जिसे देख वही पाँच का सिक्का उछाल रहा है। फ़िज़ा में पाँच ही पाँच है। रिक्शा भी पाँच है ठेला भी पाँच है। खुशी के मारे सब पागल हो रहे हैं। खाना खोज रहे हैं। पाँच रुपये को देखकर ही पेट भर रहे हैं। कोई अपना पाँच रुपया किसी को दान में नहीं दे रहा है। दो टकिया की नौकरी में तेरा लाखों का सावन जाए टाइप माहौल है। झंडू पंचारिष्ठ टाइप शक्तिशाली फ़ील कर रहे हैं।
आज पाँच का पंचनामा टीवी पर आयेगा। रशीद आयेंगे,नकवी आयेंगे। एक ग़रीब के पेट पर लात मारेंगे एक सहला़येंगे। रशीद साहब की कल किताब आयेगी। पाँच रुपये में कामयाब भोजन कैसे करें। नकवी साहब की किताब आएगी कि पाँच रुपये में कैसे रशीद साहब को खिला आएं। कुतर्कों का कुचक्र चलेगा। फिर खंडन आयेगा। फिर नया बयान आएगा। बीजेपी आरोप लगाएगी सरकार ने पैमाना घटाकर ग़रीबी घटा दी है। अपनी राज्य सरकारों में घटी ग़रीबी के पैमाने नहीं बताएगी। अगर पैमाना बढ़ जाए तो देश में ग़रीबी भी बढ़ जाए। उनके राज्यों में भी बढ़ जाएगी। फिर सबके ग्रोथ की पोल खुलेगी। आंकड़ों के हेरफेर के खेल का भांडा फूट जाएगा।
भारत की ग़रीबी पाँच रुपये में इतरायेगी। रशीद साहब वित्त मंत्री बन जायेंगे और चिदंबरम उनके खजांची। टीवी पर ग़रीबी की हर थाली का सैंपल सजा मिलेगा। पाँच रुपये को भारत का राष्ट्रीय रुपया घोषित कर दिया जाएगा। पाँच रुपये के सम्मान में एक दिन मसूद दिवस मनाया जाएगा। लोगों को बुला बुलाकर पंतुआ वग़ैरह खिलाया जाएगा । छुट्टी घोषित होगी । लोग उस दिन सिर्फ पाँच रुपये का ही खाना खा़येंगे। जो जो खा लेगा रईस घोषित कर दिया जाएगा। राजनीति में मूर्ख होते हैं। मूर्ख रहेंगे। पनटकिया काल है कांग्रेस का ये। कपार पीटते रहिए। इसलिए हे पाँच रुपये तुम दुखी मत होना। शान से कहो मैं पाँच हूँ पाँच। अब कोई तुम्हें नहीं फेंकेगा।
बस ज़रा देखना बारह रुपया बाज़ी न मार ले जाए। सरकार बारह का बब्बर नोट न छाप दे। बब्बर करेंसी!!! और कही ऐसा न हो की उमर अब्दुल्ला अपनी 1 रुपये वाली सस्ती बात से बाज़ी जीत ले और बब्बर साहब और रशीद मसूद साहब दखते ही रह जाये ...और अगर अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए दिग्गीराजा(दिग्विजय सिंह) भी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हो गए तो मैदान मार ले जायंगे.... खेर फ़िलहाल दिग्गीराजा अपने "Tunch Maal" में व्यस्त है इसलिए बाकियों को मौका मिला है इस बार|
'टंच' एक गैरसांप्रदायिक,धर्म निरपेक्ष,अहिंसक शब्द है| दिग्गीराजा का कारनामा इस शब्द को राष्ट्रीय पहचान दिलवाने में पहला क़दम माना जा रहा है| उम्मीद है इस से पहले वो इस शब्द का प्रयोग अपने राज्य, अपने शहर, अपनी गली और अपने घर की नारी-शक्ति पर कर चुके होंगे.अग्रिम शुभकामनाएं|
"देश में लोकतन्त्र है कोई अपनी बात कह सकता है-- इस जुमले ने देश को घर्मशाला बना दिया है।"
I think Raj Babbar had "Kauwa Biryani" for Rs 12 before giving that statement.I understand Raj Babbar's problem, pollitical leaders are so used to their Swiss Bank accounts, that they are confusing Swiss Frank/Euros as Rupees.Now McDonald's to introduce a new burger for Rs.12, which would be named McBabbar!!!
दरिद्र को दरिद्रनारायण कह देने से वह नारायण नहीं हो जाता। इस देश में ऐसी बेवकूफ़ी काफी समय से चली आ रही है|
How can that government stop female harassment and rapes whose senior strategy leader refers woman as "Tunch Maal"? How come we live in a nation where terrorists(Ishrat Jahan) are called as "Beti" and an actual "Beti" gets "Tunch Maal" remark. Meri Ma Behen ho jaaye to secularism hai..Aapki ho to minority exploitation. Saala Hypocrisy #Hadd Hai Yaar.
When will they understand what does it take to speak like MP's(member of parliament)/public leader/responsible authorities/ of a country? Shouldn't they be banned to open their mouth?
"Its all about Money pal... Rest it just conversation"
हमारी सोसाईटी को इंटेलेक्चुअल बनने का कोढ़ हो गया है जिसके ट्यूमर को मीडिया हाउसेज़ बराबर केटेलाइज़ करते रहते हैं। पता तो चले कि हमारा समाज आत्ममंथन, चिंतन और तर्क-वितर्क भी करता है! पता तो चले दुनिया का सबसे युवा देश समस्याओं पर राय देता है!
कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि सिर्फ़ चंद प्रबुद्ध लोग इस तरह की फ़र्ज़ी राजनैतिक परिचर्चा का हिस्सा बनते हैं। और पेपर पढ़ने और टीवी देखने वाले लोग, जिनपर ख़ुद के द्वारा थोपी हुई एक नक़ली ज़िम्मेदारी का नक़ली बोध है, इसकी पूर्ति वो इसकी-उसकी भर्त्सना करके करते हैं (जैसे मैं कर रहा हूँ) और गौरवान्वित महसूस करते हैं (जैसे मैं कर रहा हूँ)...और देश का युवा हाथ में रिमोट लिए ख़ुश हो रहा होगा यही तो टेलेंट है।
कहने के बाद, हसरतें राख हो गईं लेकिन साला! आग अब भी कहीं दबी सी है! ख़ैर, मैं कौन सी नई बात कह रहा हूँ! रोज़ का तमाशा है। बहुत गुस्सा आ रहा है! साला!!! कौन सी क्रांति आ जानी है!
फिर भी आने वाले वक़्त मे 2-4 कविताये share करंगे आप सब बुद्धिजीवी वर्ग के साथ, क्रांति तो नहीं होगी फिर भी अपने मन की निकल लेंगे ...आपकी आप जाने|
Hope your intellect is satisfied. And on a more serious note, your intellect needs to get a life
इस आख़िरी कश के साथ,
मैंने ख़ुद में फिर से ज़िन्दगी फूंक ली
अब यहाँ इन शब्दों में मेरा चेहरा मत खोजिये ...आम आदमी की भीड़ तो देखी होगी ना आपने ......बस उसी में से कोई चेहरा उठा लीजिये.....या अपने आप को आइने के सामना खड़ा कर लीजिये .....बस वही हूँ मैं भी|
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Watan me the to watan ke log satate the....