हर पल तुमको पाना और खोना तुमको खुद से ,
नैनो में तुम्हे बसाना और नैनो से नीदें खोना ,
रात दिन तुम्हे निहारना , सराहना, याद करना ,
तुम्हारी बातो पे हँसना और कभी आंसूं बहाना.
दिन का रात मैं बदलना और रात का दिन में ,
इन दोनों का अस्तित्व तुम्हारे प्रेम में खोना,
तुम्हारे साथ के दिवास्वप्न प्रतिपल संजोना ,
और भूल जाना दिवास्वप्नो का भंगुर होना.
अपने मैं को खोना और खोना खुद का होना,
रोकना कदमो को और फिर रुक के चलना ,
राह के कंटको से नित पुष्प हार पिरोना ,
धारण कर इन हारों को इठलाना, मुस्कुराना .
काल के ग्रास पे कभी, ये आज भी चढ़ जायेगा,
मेरा होना, मेरा साया बस धूल सा रह जायेगा,
बचेगी बस मेरी लगन, मेरी छुदा, चारो तरफ,
विरह में जल के कहीं कोई प्रभु सा हो जायेगा।
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