वो आहों के बादल सजा के मिटाना
वो संजीदा सपने पिरो के भुलाना
वो आँखों में तेरी मेरा डूब जाना
वो सांसो में तेरा समाते ही जाना
तेरी चंद यादो के लम्हे समेटे
तेरी नावफाओ के सागर से होके
मुझे जाना है दूर उस एक डगर पे
जहाँ तेरी यादों के झोकें न पहुचें
जहाँ गुनगुनाये मासूम परियां
बादल असत के जहाँ न छुपे हो
जहाँ तेरी यादों के झोकें न पहुचे
जहाँ तेरी यादों के पत्थर न पहुचे
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Comments (2 so far )
AKANKSHA SRIVASTAV
wow
July 20th, 2013
Author
Thnx
July 20th, 2013