अनन्य ऋतू की पुकार लिए
टेसू बेला के हार लिए
मुझ केवल के जीवन सुर में
हर्षद परिणय सत्कार लिए
मिलाप विरह के संवेदन
प्रतिदिन होते विध्वंशन
साकार विकार के संघर्षण
सम्पूर्ण विराम की आस लिए
तुम प्रेम पिपास की स्वास लिए
जीवन विवश ये पुकार लिए
अब आन मिलो तुम प्राण प्रिये
अमृत प्रेम प्रकाश लिए , अमृत प्रेम प्रकाश लिए..
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Comments (3 so far )
ARNICA KALA
i cant write this kind of hindi in 7 janams...... hats off
July 24th, 2013
Author
You !!, I didn't see this comment earlier , no translation required as it would go above your tiny head. :)
September 12th, 2014