न जाने आज क्या हुआ
कुछ खो सा गया मैं
न जाने आज क्या हुआ
कुछ थम सा गया मैं
बारिश की बूंदों के बीच
काले उन बदलो के संग
थोडा ........
थम सा गया मैं ....
थम से गया मैं ....
लिखने को जी मचले ..
शब्द भी तो भीग रहे ..
बारिश की बूंदों के बीच
काले उन बदलो के संग
तरासुं कैसे आपनी कविता को ..
मेरी कविता भी तो भीग रही …
उन्मुक्त गगन के पटल पर
काले उन बदलो के संग
मैं क्यों खड़ा हूँ
इंतजार किसका कर रहा ...
मैं भी तो अब भीग रहा ...
शब्दों की संरचना में ...
काले उन बदलो के संग ....
स्याही नहीं
आज बारिश की बुँदे थीं ..
कुछ लिखने को ...
बदलो के अधरों पर ....
खडकी से आता पानी का छीटा ...
कुछ यूँ एहसास दे जाता है
ख्वाबो में खोए इक कवी को
हकीकत की धरातल पर छोड़ जाता है
करुणेश किशन
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- KARUNESH KISHAN