सुबह -सुबह चारों तरफ लगे पेड़
भर जाते हैं पंछियों से ,
गूंजने लगता है तुम्हारा नाम ,
थोड़ी देर बाद ,
पंछी निकल पड़ते हैं कंही के लिए,
मैं भी लौट पड़ती हूँ वापस ,
तुम्हारी दी हुई
अपनी कब्र में !!!
सुबह -सुबह चारों तरफ लगे पेड़
भर जाते हैं पंछियों से ,
गूंजने लगता है तुम्हारा नाम ,
थोड़ी देर बाद ,
पंछी निकल पड़ते हैं कंही के लिए,
मैं भी लौट पड़ती हूँ वापस ,
तुम्हारी दी हुई
अपनी कब्र में !!!